सोजत का परिदृश्य

”’सोजत”’ राजस्थान राज्य के पाली जिले का एक कस्बा है। यह इसी नाम से एक तहसील भी है। यह कस्बा राष्ट्रीय राजमार्ग 162 पर स्थित है।

    भौगोलिक परिदृश्य

    राजस्थान राज्य के पाली जिले मे एक कस्बा है। जो अरावली की गोद से निकलती सुकडी नदी के पास बसा है, भोगोलिक द्रस्टी से मैदानी इलाका है। करीबन १५० साल पहले यहा भूमिगत जल की कोई कमी नही थी। किन्तु आज हालात ऐसे है कि 300 फिट गहराई तक खोदा जाए तो भी पानी नही मिलेगा।

    इतिहास

    सोजत भुतपूर्व मारवाड राज्य का एक परगना था, पाषाण काल से यहा पर मानव के रहने के प्रमाण मिले है और प्रारम्भिक शताब्दियों से हुण, शक, पल्लवी इत्यादि वशो के होने के प्रमाण मिले है, मध्ययुगीन राजवंश से लेकर मुगलवंश तक ने यहा पर राज किया। कस्बे के मध्य मे एक विशाल किला बना हुआ है।
    आबू और अजमेर के बीच किराड़ू लोद्रवा के पुंगल राज के दौरान पंवारों का यहां पर भी राज था तथा राजा त्रंबसेन त्रववसेन सोजत पर राज करता था तब इस नगरी का नाम त्रंबावती नगरी हुआ करता था।
    राजा त्रवणसेन के सोजत सेजल नाम की एक 8-10 वर्षीय पुत्री थी जो देवताओं की कला को प्राप्त कर शक्ति का अवतार हुई। यह बालिका आधीरात को पोल का द्वार बंद होने के बाद देवी की भाखरी पर चौसठ जोगनियों के पास रम्मत करने जाती थी राजा को शक होने पर उसने अपने प्रधान सेनापति बान्धर हुल को उसका पीछा करने का निर्देश दिया। एक दिन सेजल के रात्रि में बाहर निकलने पर बांधर उसके पीछे पीछे भाखरी तक गया तब जोगनियों ने कहा आज तो तूं अकेली नहीं आई है। तब सेजल ने नीचे जाकर देखा तो उसे सेनापति नजर आया। सेजल ने कुपीत होकर उसे शाप देना चाहा तब वह उसके चरणों में गिर गया तथा बताया कि वह तो उनके पिताजी के आदेश से आया है। इस पर उसने बांधर को आशीर्वाद दिया तथा अपने पिता को शाप दिया। बालिका ने बांधर से कहा कि आज से राजा का राज तुझे दिया। तू इस गांव का नाम मेरे नाम सोजत पर रखकर अमुक स्थान पर मेरी स्थापना करके पूजा करना। इतना कहकर वह देवस्वरुप बालिका जोगनियों के साथ उड़ गई। राजा को जब यह बात पता चली तो दुखी होकर उसने अपने प्राण त्याग दिए। इसी बांधर हुल ने सेजल माता का मंदिर एवं भाखरी के नीचे चबूतरा तथा पावता जाव के पीछे बाघेलाव तालाब खुदवाया। इसके बाद सोजत पर कई वर्षों तक हुलों का राज रहा जिसमें हरिसिंह हुल हरिया हुल नाम से प्रसिद्ध राजा हुआ।

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