हेलीबोर्न सर्वे का कार्य पश्चिमी राजस्थान में शुरू:भूगर्भ में छीपे पानी को खोजने पर खर्च हो रहे 45 करोड़, 3D, हाई रेजोल्यूशन कैमरें लगा हेलीकॉप्टर से कर रहे सर्वे

 प्रदेश के शुष्क क्षेत्रों में जमीन के अंदर दबे भूजल भंडारों का पता लगाने के लिए अत्याधुनिक 3D कैमरा लगा हेलीकॉप्टर के जरिए हेलीबोर्न सर्वे का कार्य पश्चिमी राजस्थान में शुरू करवाया गया हैं। केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय और भूजल बोर्ड ने संयुक्त रूप से यह सर्वे करवा रहा हैं। जिससे की भूगर्भ में छीपे जल भंडारों का पता लगाया जा सके ओर भविष्य में पेयजल योजनाओं के आधार के रूप में देश के शुष्क क्षेत्रों में पेयजल समस्या का समाधान हो सके।

पाली जिले के सोजत हवाई पट्‌टी पर भी एक हेलीकॉप्टर पहुंचा हैं। जो पिछले कुछ दिनों से क्षेत्र में मंडरा रहा हैं। एक्सपर्ट लोगों की टीम भी है जो यहां एक महीने रहेगी और जिले भर में प्रतिदिन हेलीकॉप्टर से जाकर हेलीकॉप्टर के नीचे लगे विशेष यंत्र के जरिए जिले की जमीन में दबे भूजल भंडारों की स्थिति का पता लगाकर केंद्रीय जल संसाधन मंत्रालय को फीडबैक देगी। पहले फेज में जैसलमेर में सर्वे हुआ था।

केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय ने खासतौर से भारत के शुष्क क्षेत्रों में जिनमें राजस्थान, हरियाणा और गुजरात के कुछ इलाके शामिल कर इसके लिए दो योजनाएं बनाई है जिसमें पहले फेज में राजस्थान के मरुस्थलीय क्षेत्र जिसमें जैसलमेर ,बाड़मेर, जोधपुर, गंगानगर, बीकानेर, जालोर, पाली शामिल हैं। पाली जिले में पानी का सबसे बड़ा स्रोत जवाई बांध है वह भी करीब-करीब अब खाली हो चुका हैl केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय पाली की जवाई पर निर्भरता को कम करना चाह रहा है। उसका मकसद है कि पौराणिक समय में जो नदियां इस क्षेत्र में बहती थी उनकी कुछ जल धाराएं और भंडार आधुनिक विज्ञान की तकनीक के जरिए सामने आते हैं तो भूगर्भ में मिले जल से जिलेवासियों की प्यास बुझाने के लिए नवीनतम संसाधनों के जरिए भूजल का दोहन कर पानी के लिए प्लान बी तैयार किया जा सके।

500 मीटर की गहराई में छिपे जल स्रोतों का पता लगा सकते हैं हेलीकॉप्टर मैं विशेष कैमरे

हालांकि सोजत हवाई पट्टी पर हेलीबोर्न सर्वे के लिए आया हेलीकॉप्टर और उनके साथ आए तकनीकी टीम के विशेषज्ञ प्रोजेक्ट के बारे में ज्यादा कुछ नहीं बता पाएl फिर भी उन्होंने प्राथमिक तौर पर बताया कि इस प्रोजेक्ट में हेलीकॉप्टर जो अपने नीचे विशेष प्रकार का एक सर्किल के आकार का गोल घेरा लेकर उड़ता हैl उसमें अत्याधुनिक 3D कैमरे और हाई रेजोल्यूशन कैमरे लगे हैं। जो जमीन की ऊंचाई से जमीन के अंदर करीब 500 मीटर नीचे दबे भूजल स्रोतों के भंडारों का पता लगा सकते हैं। भूजल की उन प्राकृतिक आकृतियों की इमेज को कैच कर सकते हैंl हेलीकॉप्टर प्रतिदिन सुबह उड़ता है जो शाम को वापस हवाई पट्टी पर लैंड करता है। यहां पर टीम के करीब एक माह रुकने की बात सामने आई हैl

45 करोड़ का है पूरा प्रोजेक्ट

पिछले दिनों जल शक्ति मंत्री शेखावत और सूचना तकनीक मंत्री जितेंद्रसिंह ने इसका उद्घाटन किया था। शुष्क क्षेत्रों में भूजल का पता लगाने के लिए बनाया गया यह प्रोजेक्ट 45 करोड़ रुपए का हैl जिसमें मार्च 2021 में पहली किस्त के रूप में 4 करोड़ रुपए हेलीबोर्न करने वाली कंपनी को केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय और भूजल बोर्ड के द्वारा जारी किए गएl पहला पेज मार्च 2022 तक पूरा करना है उसके बाद दूसरा पेज गुजरात और हरियाणा में शुरू होगाl



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