जालोर, सिरोही, बाड़मेर को अनार-खजूर के क्लस्टर में लेने की संभावना

 सिरोही नेशनल हॉर्टिकल्चर मिशन की क्लस्टर योजना में राजस्थान को अनार और खजूर के क्लस्टर में शामिल करने के सुझाव पर विचार किया जा रहा है। ऐसा होता है तो आने वाले दिनों में पश्चिमी राजस्थान के सिरोही जालोर और बाड़मेर जिले के किसानों की तकदीर और खेती की तस्वीर बदल सकता है। दिल्ली में हुई राष्ट्रीय बागवानी मिशन की जनरल काउंसिल की बैठक में राजस्थान के एकमात्र सदस्य आदित्य बाफना इस मुद्दे को उठाया। बाफना का दावा है कि इस मुद्दे पर केंद्रीय कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने सहमति जताई है। बाफना ने नेशनल हॉर्टिकल्चर मिशन की क्लस्टर योजना में राजस्थान को अनार और खजूर के क्लस्टर में शामिल करने का सुझाव दिया था। बता दें कि केंद्र सरकार ने मिशन के तौर बागवानी क्षेत्र के विकास के लिए एमआईडीएच के तहत 2020 से 2025 तक के लिए 22,656 करोड़ रुपये का बजट रखा है। इसके तहत राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड, नारियल विकास बोर्ड और अन्य योजनाओं की केंद्र प्रायोजित योजनाओं के तीन मुख्य क्षेत्रों को शामिल किया गया है।

क्लस्टर बनने के बाद नेशनल एग्रीकल्चर इन्फ्रास्ट्रक्चर फंड के लिए घोषित एक लाख करोड रुपए की मदद से अनार और खजूर की खेती के लिए ट्रेनिंग, हाइब्रिड प्लांटिंग, मार्केटिंग और प्रोसेसिंग यूनिट पर समावेशी विकास को लेकर काम शुरू हो सकेगा। बाड़मेर जालोर और सिरोही अनार उत्पादन के अग्रणी जिलों में हैं, जहां हजारों बीघा में अनार, खजूर की खेती होती है। प्राइमरी प्रोसेसिंग पर सब्सिडी का भी सुझाव िदया।

क्योंकि, राजस्थान में उपजने वाला अनार प्रोसेसिंग के लिए अभी महाराष्ट्र जाता है बैठक में आदित्य बाफना ने कहा कि अनार की खेती के लिए महाराष्ट्र और कर्नाटक का चयन किया गया है। राजस्थान भी इस खेती के अग्रणी राज्यों में शुमार है, लेकिन क्लस्टर में महाराष्ट्र और कर्नाटक के साथ राजस्थान को शामिल नहीं किया गया है जिससे राजस्थान के किसानों को मिलने वाला बड़ा मौका हाथ से निकल सकता है। गौरतलब है कि राजस्थान में उपजने वाला अनार प्रोसेसिंग के लिए महाराष्ट्र भेजा जाता है जिससे लागत बढ़ जाती है।

तैयाारी: इसराइल और नीदरलैंड की मदद से देशभर में तैयार किए जाएंगे 53 क्लस्टर हॉर्टिकल्चर डेवलपमेंट के लिए इसराइल और नीदरलैंड की मदद से केंद्रीय कृषि मंत्रालय देश भर में 53 क्लस्टर डेवलप किए जाएंगे। पहले चरण में करीब 12 क्लस्टर पर काम शुरू भी हो चुका है। दोनों सहयोगी देशों की मदद से टिश्यू कल्चर लैब और प्लांट डवलपमेंट युनिट के साथ प्रोसेसिंग यूनिट बनाने का प्रस्ताव है। अनार उत्पादन के अग्रणी जिलों सिरोही जालोर और बाड़मेर में यूनिट से यहां के किसानों को ना सिर्फ बड़ा फायदा होगा बल्कि युवाओं को रोजगार भी मिलेगा।

भास्कर ने जिले के अनार उत्पादक किसानों से बात की तो उन्होंने इस प्रस्ताव पर केंद्रीय कृषि मंत्री से मिली सहमति पर खुशी जताई। पालड़ी में करीब 100 बीघा में अनार की खेती कर रहे आदित्य गुलेच्छा ने बताया कि सिरोही जिले में करीब 2000 बीघा से ज्यादा रकबे में अनार की खेती हो रही है। जालोर और बाड़मेर में तो खेती का रकबा और भी बड़ा है, लेकिन, राजस्थान में पैदा होने वाला अनार स्थानीय स्तर पर कोई यूनिट नहीं होने के कारण प्रोसेसिंग के लिए महाराष्ट्र भेजा जाता है। अगर क्लस्टर योजना में राजस्थान को शामिल कर लिया जाता है तो किसानों के लिए वरदान जैसा होगा। इससे अनार उत्पादन और मुनाफा बढ़ेगा और प्रदेश अनार उत्पादन में महाराष्ट्र को भी पछाड़ सकता है।



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